हमारे
समाज में एक परंपरा काफी पुराने समय से चली आ रही है कि लोग एक-दूसरे के
घर पर भोजन करने जाते हैं | कई बार दूसरे लोग हमें खाने की चीजें देते हैं |
वैसे तो यह एक सामान्य सी बात है, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि
किन लोगों के यहां हमें भोजन नहीं करना चाहिए | गरुड़ पुराण के आचार
कांड में बताया गया है कि हमें किन 10 लोगों के यहां भोजन ग्रहण नहीं करना
चाहिए | यदि हम इन लोगों के द्वारा दी गई खाने की चीज खाते हैं या इनके घर
भोजन करते हैं तो इससे हमारे पापों में वृद्धि होती है | ये 10 लोग
कौन-कौन हैं ? और इनके घर पर भोजन क्यों नहीं करना चाहिए ?
1-कोई चोर या अपराधी :-कोई व्यक्ति चोर है, न्यायालय में उसका अपराधी सिद्ध हो गया हो तो उसके घर का भोजन नहीं करना चाहिए | गरुड़ पुराण के अनुसार चोर के यहां का भोजन करने पर उसके पापों का असर हमारे जीवन पर भी हो सकता है |
2-चरित्रहीन स्त्री :-इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि चरित्रहीन स्त्री के हाथ से बना हुआ या उसके घर पर भोजन नहीं करना चाहिए | यहां चरित्रहीन स्त्री का अर्थ यह है कि जो स्त्री स्वेच्छा से पूरी तरह अधार्मिक आचरण करती है | गरुड़ पुराण में लिखा है कि जो व्यक्ति ऐसी स्त्री के यहां भोजन करता है, वह भी उसके पापों का फल प्राप्त करता है |
3-सूदखोर :-वैसे तो आज के समय में काफी लोग ब्याज पर दूसरों को पैसा देते हैं, लेकिन जो लोग दूसरों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए अनुचित रूप से अत्यधिक ब्याज प्राप्त करते हैं, गरुड़ पुराण के अनुसार उनके घर पर भी भोजन नहीं करना चाहिए | किसी भी परिस्थिति में दूसरों की मजबूरी का अनुचित लाभ उठाना पाप माना गया है | गलत ढंग से कमाया गया धन, अशुभ फल ही देता है |
4-रोगी व्यक्ति :-यदि कोई व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, कोई व्यक्ति छूत के रोग का मरीज है तो उसके घर भी भोजन नहीं करना चाहिए | ऐसे व्यक्ति के यहां भोजन करने पर हम भी उस बीमारी की गिरफ्त में आ सकते हैं | लंबे समय से रोगी इंसान के घर के वातावरण में भी बीमारियों के कीटाणु हो सकते हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं |
5-अत्यधिक क्रोधी व्यक्ति :-क्रोध इंसान का सबसे बड़ा शत्रु होता है | अक्सर क्रोध के आवेश में व्यक्ति अच्छे और बुरे का फर्क भूल जाता है | इसी कारण व्यक्ति को हानि भी उठानी पड़ती है | जो लोग हमेशा ही क्रोधित रहते हैं, उनके यहां भी भोजन नहीं करना चाहिए | यदि हम उनके यहां भोजन करेंगे तो उनके क्रोध के गुण हमारे अंदर भी प्रवेश कर सकते हैं |
6-नपुंसक या किन्नर :-किन्नरों को दान देने का विशेष विधान बताया गया है | ऐसा माना जाता है कि इन्हें दान देने पर हमें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है | गरुड़ पुराण में बताया गया है कि इन्हें दान देना चाहिए, लेकिन इनके यहां भोजन नहीं करना चाहिए | किन्नर कई प्रकार के लोगों से दान में धन प्राप्त करते हैं। इन्हें दान देने वालों में अच्छे-बुरे, दोनों प्रकार के लोग होते हैं |
7-निर्दयी व्यक्ति :-यदि कोई व्यक्ति निर्दयी है, दूसरों के प्रति मानवीय भाव नहीं रखता है, सभी को कष्ट देते रहता है तो उसके घर का भी भोजन नहीं खाना चाहिए | ऐसे लोगों द्वारा अर्जित किए गए धन से बना खाना हमारा स्वभाव भी वैसा ही बना सकता है | हम भी निर्दयी बन सकते हैं | जैसा खाना हम खाते हैं, हमारी सोच और विचार भी वैसे ही बनते हैं |
8-निर्दयी राजा :- यदि कोई राजा निर्दयी है और अपनी प्रजा का ध्यान न रखते हुए सभी को कष्ट देता है तो उसके यहां का भोजन नहीं करना चाहिए | राजा का कर्तव्य है कि प्रजा का ध्यान रखें और अपने अधीन रहने वाले लोगों की आवश्यकताओं को पूरी करें | जो राजा इस बात का ध्यान न रखते हुए सभी को सताता है, उसके यहां का भोजन नहीं खाना चाहिए |
9-चुगलखोर व्यक्ति :-
जिन लोगों की आदत दूसरों की चुगली करने की होती है, उनके यहां या उनके द्वारा दिए गए खाने को भी ग्रहण नहीं करना चाहिए | चुगली करना बुरी आदत है | चुगली करने वाले लोग दूसरों को परेशानियों फंसा देते हैं और स्वयं आनंद उठाते हैं | इस काम को भी पाप की श्रेणी में रखा गया है | अत: ऐसे लोगों के यहां भोजन करने से बचना चाहिए |
10-नशीली चीजें बेचने वाले :-नशा करना भी पाप की श्रेणी में ही आता है और जो लोग नशीली चीजों का व्यापार करते हैं, गरुड़ पुराण में उनका यहां भोजन करना वर्जित किया गया है | नशे के कारण कई लोगों के घर बर्बाद हो जाते हैं | इसका दोष नशा बेचने वालों को भी लगता है | ऐसे लोगों के यहां भोजन करने पर उनके पाप का असर हमारे जीवन पर भी होता है |
आज के युग एवं संस्कृति को देखते हुए, ऐसे लोगो भले ही उनसे हमारा करीबी नाता हो, उनके द्वारा दिए गए भोजन के निमंत्रण से दूर रहने में ही मन एवं विचारों की शुद्धता है |
1-कोई चोर या अपराधी :-कोई व्यक्ति चोर है, न्यायालय में उसका अपराधी सिद्ध हो गया हो तो उसके घर का भोजन नहीं करना चाहिए | गरुड़ पुराण के अनुसार चोर के यहां का भोजन करने पर उसके पापों का असर हमारे जीवन पर भी हो सकता है |
2-चरित्रहीन स्त्री :-इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि चरित्रहीन स्त्री के हाथ से बना हुआ या उसके घर पर भोजन नहीं करना चाहिए | यहां चरित्रहीन स्त्री का अर्थ यह है कि जो स्त्री स्वेच्छा से पूरी तरह अधार्मिक आचरण करती है | गरुड़ पुराण में लिखा है कि जो व्यक्ति ऐसी स्त्री के यहां भोजन करता है, वह भी उसके पापों का फल प्राप्त करता है |
3-सूदखोर :-वैसे तो आज के समय में काफी लोग ब्याज पर दूसरों को पैसा देते हैं, लेकिन जो लोग दूसरों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए अनुचित रूप से अत्यधिक ब्याज प्राप्त करते हैं, गरुड़ पुराण के अनुसार उनके घर पर भी भोजन नहीं करना चाहिए | किसी भी परिस्थिति में दूसरों की मजबूरी का अनुचित लाभ उठाना पाप माना गया है | गलत ढंग से कमाया गया धन, अशुभ फल ही देता है |
4-रोगी व्यक्ति :-यदि कोई व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, कोई व्यक्ति छूत के रोग का मरीज है तो उसके घर भी भोजन नहीं करना चाहिए | ऐसे व्यक्ति के यहां भोजन करने पर हम भी उस बीमारी की गिरफ्त में आ सकते हैं | लंबे समय से रोगी इंसान के घर के वातावरण में भी बीमारियों के कीटाणु हो सकते हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं |
5-अत्यधिक क्रोधी व्यक्ति :-क्रोध इंसान का सबसे बड़ा शत्रु होता है | अक्सर क्रोध के आवेश में व्यक्ति अच्छे और बुरे का फर्क भूल जाता है | इसी कारण व्यक्ति को हानि भी उठानी पड़ती है | जो लोग हमेशा ही क्रोधित रहते हैं, उनके यहां भी भोजन नहीं करना चाहिए | यदि हम उनके यहां भोजन करेंगे तो उनके क्रोध के गुण हमारे अंदर भी प्रवेश कर सकते हैं |
6-नपुंसक या किन्नर :-किन्नरों को दान देने का विशेष विधान बताया गया है | ऐसा माना जाता है कि इन्हें दान देने पर हमें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है | गरुड़ पुराण में बताया गया है कि इन्हें दान देना चाहिए, लेकिन इनके यहां भोजन नहीं करना चाहिए | किन्नर कई प्रकार के लोगों से दान में धन प्राप्त करते हैं। इन्हें दान देने वालों में अच्छे-बुरे, दोनों प्रकार के लोग होते हैं |
7-निर्दयी व्यक्ति :-यदि कोई व्यक्ति निर्दयी है, दूसरों के प्रति मानवीय भाव नहीं रखता है, सभी को कष्ट देते रहता है तो उसके घर का भी भोजन नहीं खाना चाहिए | ऐसे लोगों द्वारा अर्जित किए गए धन से बना खाना हमारा स्वभाव भी वैसा ही बना सकता है | हम भी निर्दयी बन सकते हैं | जैसा खाना हम खाते हैं, हमारी सोच और विचार भी वैसे ही बनते हैं |
8-निर्दयी राजा :- यदि कोई राजा निर्दयी है और अपनी प्रजा का ध्यान न रखते हुए सभी को कष्ट देता है तो उसके यहां का भोजन नहीं करना चाहिए | राजा का कर्तव्य है कि प्रजा का ध्यान रखें और अपने अधीन रहने वाले लोगों की आवश्यकताओं को पूरी करें | जो राजा इस बात का ध्यान न रखते हुए सभी को सताता है, उसके यहां का भोजन नहीं खाना चाहिए |
9-चुगलखोर व्यक्ति :-
जिन लोगों की आदत दूसरों की चुगली करने की होती है, उनके यहां या उनके द्वारा दिए गए खाने को भी ग्रहण नहीं करना चाहिए | चुगली करना बुरी आदत है | चुगली करने वाले लोग दूसरों को परेशानियों फंसा देते हैं और स्वयं आनंद उठाते हैं | इस काम को भी पाप की श्रेणी में रखा गया है | अत: ऐसे लोगों के यहां भोजन करने से बचना चाहिए |
10-नशीली चीजें बेचने वाले :-नशा करना भी पाप की श्रेणी में ही आता है और जो लोग नशीली चीजों का व्यापार करते हैं, गरुड़ पुराण में उनका यहां भोजन करना वर्जित किया गया है | नशे के कारण कई लोगों के घर बर्बाद हो जाते हैं | इसका दोष नशा बेचने वालों को भी लगता है | ऐसे लोगों के यहां भोजन करने पर उनके पाप का असर हमारे जीवन पर भी होता है |
आज के युग एवं संस्कृति को देखते हुए, ऐसे लोगो भले ही उनसे हमारा करीबी नाता हो, उनके द्वारा दिए गए भोजन के निमंत्रण से दूर रहने में ही मन एवं विचारों की शुद्धता है |
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