बाल विवाह निश्चित रूप से हमारे सभ्य समाज में एक बदनुमा दाग है और, इसकी जितनी भी आलोचना की जाए कम ही है!
और ख़ुशी की बात है क अब बाल-विवाह नामक कुरीति सरकार द्वारा प्रतिबंधित है और, वो होना भी चाहिए क्योंक बाल्यकाल में बच्चे ना तो शारीरिक और ना ही मानसिक रूप से शादी के लिए तैयार होते हैं!!
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि देवभूमि कहे जाने वाले हमारे हिंदुस्तान में आखिर, बाल-विवाह की शुरुआत कैसे और क्यों हुई.?
क्योंकि... जब हम अपने हिंदुस्तान की इतिहास की तरफ नजर दौड़ाते हैं तो..... हमें , रामायण में सीता स्वयंवर एवं , महाभारत काल में द्रौपदी स्वयंवर, आदि देखने को मिलते हैं!
दरअसल इस ""स्वयंवर"" शब्द का शाब्दिक अर्थ होता ह ""स्वयं के लिए वर (पति) चुनना !
अर्थात हमारा इतिहास हमें यह साफ़ साफ़ बताता है क प्राचीन भारत में शादी के समय, लड़कियों की उम्र तो इतनी तो होती ही थी क वे सही -गलत का फैसला कर सक जिसके लिए जाहिर सी बात है कि बालिग़ होना जरुरी है...!
फिर ऐसा अचानक में क्या हो गया कि....जिस हिन्दू समाज में लड़कियों के लिए वर चुनने के लिए स्वयंवर जैसी परिष्कृत व्यवस्था थ अचानक ही वो समाज ""बाल-विवाह"" जैसी कुरीति में जकड गया??
असल में इसका उत्तर भ इतिहास में ही छुपा हुआ ह जब ७८५ ईस्वी के उपरांत मीर कासिम जैसे जेहादियों न हमारे हिंदुस्तान पर हमला करना शुरू किया !
मुस्लिम जेहादियों का सिर्फ दो ही काम थ हिंदुस्तान में लूटपाट करना एवं, हिन्दू पुरुषों को क़त्ल करना तथा स्त्रियों का बलात्कार कर उसे बंधक बना लेना !
लेकिन हिंदुस्तान में हिंदुस्तान में हिन्दुओं के बेहद मजबूत होने के कारण मुस्लिम अपने जिहाद में पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहे थ और, हिन्दू राजाओं द्वारा वे बार-बार कुत्तों की तरह खदेड़ दिए जा रहे थे!
इसीलिए , वे लगभग पांच सौ वर्षों तक बाहर से आकर लूट-पाट करते रहे...!
परन्त १२०६ ईस्वी में पहली बार मुहम्मद गोरी नामक जेहादी ने अपने लूले गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को दिल्ली में स्थापित कर उसे हिंदुस्तान में जिहाद फ़ैलाने का जिम्मा दे दिया!
इसके बाद तो मान हिंदुस्तान में जेहादियों की बाढ़ सी आ गयी...!
और लुटेरे बाबर से लेकर औरंगजेब तक ने हमारे हिंदुस्तान में जम कर उत्पात मचाया...!
मीर कासिम की ही तरह हर मुस्लिम जेहादियों न अपने तथाकथित बलात्कारी रसूल मुहम्मद के नक़्शे कदम पर चलते हुए हिन्दू पुरुषों को क़त्ल करने .... मंदिरों को अपवित्र कर उनमे मुर्दे वगैरह गाड़कर उसे मस्जिद बना देन तथा, स्त्रियों का बलात्कार कर उसे बंधक बनाने पर ध्यान केंद्रित किया ( आज भी आप.... उस जिहाद का साक्षात रूप इराक में देख सकते हो )
लेकिन जब मुस्लिमों ने हिंदुस्तान में ही रहकर जिहाद को फैलाना शुरू किया त उन्होंने अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव किय और, समाज सुधार के नाम पर कुँवारी और विधवा स्त्रियों को अपनी प्राथमिकता में रखा तथा, उन्ही के उद्दार करने के नाम पर उन्हें अपने हरम में लेकर जाने लगे...!
इसीलिए, इस विकट परिस्थिति से निपटने एवं स्वाभिमानी हिन्दुओं ने.... अपनी पुत्रियों की रक्षा के लिए बाल-विवाह का सहारा लिय ताकि, उसे विवाहित घोषित कर उसके मान-सम्मान की रक्षा की जा सके !
आश्चर्य की बात है क लोग , बाल-विवाह को हिन्दू समाज की कुरीति बताने में तो आगे रहते ह लेकिन, ये परंपरा हिन्दुओं को क्यों अपनानी पड़ इस विषय में वे चर्चा तक नहीं करना चाहते ...!!
इसीलिए सच्चाई को जानो हिन्दुओ
क्योंक सच्चे इतिहास की जानकारी ही आगामी समय म भविष्य में उसकी पुनरावृति को रोक पाने में सक्षम होंगे...!!
और ख़ुशी की बात है क अब बाल-विवाह नामक कुरीति सरकार द्वारा प्रतिबंधित है और, वो होना भी चाहिए क्योंक बाल्यकाल में बच्चे ना तो शारीरिक और ना ही मानसिक रूप से शादी के लिए तैयार होते हैं!!
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि देवभूमि कहे जाने वाले हमारे हिंदुस्तान में आखिर, बाल-विवाह की शुरुआत कैसे और क्यों हुई.?
क्योंकि... जब हम अपने हिंदुस्तान की इतिहास की तरफ नजर दौड़ाते हैं तो..... हमें , रामायण में सीता स्वयंवर एवं , महाभारत काल में द्रौपदी स्वयंवर, आदि देखने को मिलते हैं!
दरअसल इस ""स्वयंवर"" शब्द का शाब्दिक अर्थ होता ह ""स्वयं के लिए वर (पति) चुनना !
अर्थात हमारा इतिहास हमें यह साफ़ साफ़ बताता है क प्राचीन भारत में शादी के समय, लड़कियों की उम्र तो इतनी तो होती ही थी क वे सही -गलत का फैसला कर सक जिसके लिए जाहिर सी बात है कि बालिग़ होना जरुरी है...!
फिर ऐसा अचानक में क्या हो गया कि....जिस हिन्दू समाज में लड़कियों के लिए वर चुनने के लिए स्वयंवर जैसी परिष्कृत व्यवस्था थ अचानक ही वो समाज ""बाल-विवाह"" जैसी कुरीति में जकड गया??
असल में इसका उत्तर भ इतिहास में ही छुपा हुआ ह जब ७८५ ईस्वी के उपरांत मीर कासिम जैसे जेहादियों न हमारे हिंदुस्तान पर हमला करना शुरू किया !
मुस्लिम जेहादियों का सिर्फ दो ही काम थ हिंदुस्तान में लूटपाट करना एवं, हिन्दू पुरुषों को क़त्ल करना तथा स्त्रियों का बलात्कार कर उसे बंधक बना लेना !
लेकिन हिंदुस्तान में हिंदुस्तान में हिन्दुओं के बेहद मजबूत होने के कारण मुस्लिम अपने जिहाद में पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहे थ और, हिन्दू राजाओं द्वारा वे बार-बार कुत्तों की तरह खदेड़ दिए जा रहे थे!
इसीलिए , वे लगभग पांच सौ वर्षों तक बाहर से आकर लूट-पाट करते रहे...!
परन्त १२०६ ईस्वी में पहली बार मुहम्मद गोरी नामक जेहादी ने अपने लूले गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को दिल्ली में स्थापित कर उसे हिंदुस्तान में जिहाद फ़ैलाने का जिम्मा दे दिया!
इसके बाद तो मान हिंदुस्तान में जेहादियों की बाढ़ सी आ गयी...!
और लुटेरे बाबर से लेकर औरंगजेब तक ने हमारे हिंदुस्तान में जम कर उत्पात मचाया...!
मीर कासिम की ही तरह हर मुस्लिम जेहादियों न अपने तथाकथित बलात्कारी रसूल मुहम्मद के नक़्शे कदम पर चलते हुए हिन्दू पुरुषों को क़त्ल करने .... मंदिरों को अपवित्र कर उनमे मुर्दे वगैरह गाड़कर उसे मस्जिद बना देन तथा, स्त्रियों का बलात्कार कर उसे बंधक बनाने पर ध्यान केंद्रित किया ( आज भी आप.... उस जिहाद का साक्षात रूप इराक में देख सकते हो )
लेकिन जब मुस्लिमों ने हिंदुस्तान में ही रहकर जिहाद को फैलाना शुरू किया त उन्होंने अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव किय और, समाज सुधार के नाम पर कुँवारी और विधवा स्त्रियों को अपनी प्राथमिकता में रखा तथा, उन्ही के उद्दार करने के नाम पर उन्हें अपने हरम में लेकर जाने लगे...!
इसीलिए, इस विकट परिस्थिति से निपटने एवं स्वाभिमानी हिन्दुओं ने.... अपनी पुत्रियों की रक्षा के लिए बाल-विवाह का सहारा लिय ताकि, उसे विवाहित घोषित कर उसके मान-सम्मान की रक्षा की जा सके !
आश्चर्य की बात है क लोग , बाल-विवाह को हिन्दू समाज की कुरीति बताने में तो आगे रहते ह लेकिन, ये परंपरा हिन्दुओं को क्यों अपनानी पड़ इस विषय में वे चर्चा तक नहीं करना चाहते ...!!
इसीलिए सच्चाई को जानो हिन्दुओ
क्योंक सच्चे इतिहास की जानकारी ही आगामी समय म भविष्य में उसकी पुनरावृति को रोक पाने में सक्षम होंगे...!!
No comments:
Post a Comment