ऐसा
युद्ध ना कभी किसी ने पढ़ा होगा ना ही सोचा होगा, जिसमे 10 लाख की सेना का
सामना महज 42 लोगों के साथ हुआ था और विजय किसकी होती है उन 42 वीरों की |
यह युद्ध 'चमकौर युद्ध' (Battle of Chamkaur) के नाम से भी जाना जाता है जो की मुग़ल योद्धा वज़ीर खान की अगवाई में 10 लाख की सेना का सामना सिर्फ 42 सिखों के सामने हुआ जो की गुरु गोबिंद सिंह जी की अगवाई में तैयार हुए थे | परिणाम यह निकलता है की उन 42 शूरवीर की जीत होती है जो की मुग़ल हुकूमत की नीव जो की बाबर ने रखी थी | उसे जड़ से उखाड़ दिया और भारत को स्वतंत्र भारत का दर्ज़ा दिया | औरंगज़ेब ने भी उस समय गुरु गोबिंद सिंह जी के आगे घुटने टेके और मुग़ल राज का अंत हुआ भारत से |
यह युद्ध 'चमकौर युद्ध' (Battle of Chamkaur) के नाम से भी जाना जाता है जो की मुग़ल योद्धा वज़ीर खान की अगवाई में 10 लाख की सेना का सामना सिर्फ 42 सिखों के सामने हुआ जो की गुरु गोबिंद सिंह जी की अगवाई में तैयार हुए थे | परिणाम यह निकलता है की उन 42 शूरवीर की जीत होती है जो की मुग़ल हुकूमत की नीव जो की बाबर ने रखी थी | उसे जड़ से उखाड़ दिया और भारत को स्वतंत्र भारत का दर्ज़ा दिया | औरंगज़ेब ने भी उस समय गुरु गोबिंद सिंह जी के आगे घुटने टेके और मुग़ल राज का अंत हुआ भारत से |
तभी औरंगेब ने एक प्रश्न किया गुरु गोबिंद सिंह जी के सामने की ! "यह कैसी
सेना तैयार की आपने जिसने 10 लाख की सेना को उखाड़ फेका ?" गुरु गोबिंद
सिंह जी ने उत्तर दिया :-
चिड़ियों से मै बाज लडाऊ गीदड़ों को मैं शेर बनाऊ.
सवा लाख से एक लडाऊ तभी गोबिंद सिंह नाम कहउँ,
गुरु गोबिंद सिंह जी ने जो कहा वो किया, जिन्हे आज हर कोई शीश झुकता है | यह है हमारे भारत की अनमोल विरासत जिसे हमने कभी पढ़ा ही नहीं |
चिड़ियों से मै बाज लडाऊ गीदड़ों को मैं शेर बनाऊ.
सवा लाख से एक लडाऊ तभी गोबिंद सिंह नाम कहउँ,
गुरु गोबिंद सिंह जी ने जो कहा वो किया, जिन्हे आज हर कोई शीश झुकता है | यह है हमारे भारत की अनमोल विरासत जिसे हमने कभी पढ़ा ही नहीं |
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