Monday, January 12, 2015

आतंकवाद समस्या नहीं -जेहादी रणनीति है !

अब तक आतंकवाद को एक समस्या के रूप में प्रस्तुत किया जाता है ,जैसे की वह कोई रोग है जिसका इलाज करने पर वह ठीक हो जाएगा .वास्तव में यह एक विचारधारा है जैसे की कम्युनिज्म .इसका लक्ष्य विश्व से गैर मुस्लिमों का सफाया कर के इस्लामी हुकूमत कायम करना है.आतंकवाद इन लोगों का स्वाभाव है .इसे इस्लामी जेहादी विचारधारा कहना उचित होगा .अपना मकसद पूरा करने के लिए यह लोग कई तरीके अपनाते हैं ,जिन में आतंकवाद भी एक तरीका है। अन्य में धर्म परिवर्तन कराना ,घुसपैठ ,स्मगलिंग ,नकली नोट छापना ,और नशे का व्यापार करना हैं.इसका उद्देश्य गैर मुस्लिम देशों में भय का वातावरण पैदा करना ,अस्थिरता की स्थिति बना कर ,बलपूर्वक इस्लामी राज्य की स्थापना करना है ।

यही कारन है की अबतक जितने भी उपाय किए गए ,वह आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने में विफल हुए हैं आतंकवाद और फ़ैल रहा है .कोई देश ऐसा नहीं है जहाँ आतंकवादी घटनाएँ न हुई हों।

आमतौर पर आतंकवाद के ,गरीबी ,अशिक्षा ,बेरोज़गारी या राजनितिक कारण बताये जाते हैं। कभी ओसामा बिनलादेन ,कभी तालिबान और कभी पाकिस्तान को जिम्मेदार बताया जाता है .या इसका कारण इस्राइल -फिलिस्तीन विवाद को बताया जाता है.मगर सच्चाई कुछ और ही है.आतंकवाद एक जेहादी रणनीति है.जिसका पालन करना मुसलमाओं का फ़र्ज़ है।

इस जेहादी विचार के बारे में मिर्जा गुलाम अहमद ने अपनी पुस्तक जीजस इन इंडिया में पेज १ से २० तक विस्तार से लिखा है। तह किताब कादियान पंजाब में २५ अप्रैल १८८९ को प्रकाशित हुई थी जिस समय यह किताब छपी थी उस समय न तो कश्मीर समस्या थी न इस्राइल का अस्तित्व था ,न ओसामा बिन लादेन था और न तालिबान ही थे, जिन्हें आज आतंकवाद के लिए जिम्मेदार बताया जाता है.पाकिस्तान का तो नाम भी नही था।

मिर्जा गुलाम अहमद कुरान ,हदीस के अच्छे जानकर और उर्दू अरबी फ़ारसी अंग्रेज़ी के विद्वान थे.उन्होंने इस्लामी जेहाद अर्थात आतंकवाद के बारे में जो खुल कर लिखा है ,उसे पढ़ कर हमारे नेताओं की आँखें जरूर खुल जाएँगी। कम से कम हमारे देशवासी सावधान हो जाएँ तो काफी होगा।

मिर्जा लिखते हैं की मुस्लमान मुहम्मद को अपना आखिरी नबी मानते हैं यानी भविष्य में कोई नबी नही आएगा। यह उनका ईमान है .वह यह भी मानता है की क़यामत से पाहिले एक इमाम मुहम्मद महदी जमीन पर उतरेंगे, जो बनी फातिमा कबीले से होंगे.इस समय सशरीर जन्नत में मौजूद हैं। जब वह जमीं पर उतरेंगे तो ईसा मसीह भी उनके साथ होंगे ,.इसके बाद महदी दमिश्क शहर में किसी जगह एक मीनार पर चढ़ जायेंगे.उन्हें दो फ़रिश्ते उठाये होंगे.तब इमाम सभी गैर मुसलमानों को अपनी तलवार से कतला कर देंगे ,कोई पूछ ताछ न होगी बस वाही लोग बच सकेंगे जो बिना देरी किए इस्लाम काबुल कर लेंगे।

ऐसा विस्वास इस्लाम के सभी फिरकों का है ,जिसमे अहले सुन्नत और अहले हदीस ,जिन्हें वहाबी भी कहते हैं प्रमुख हैं। इनका माना है की वह इमाम महदी का काम आसान बनाना उनकी जिम्मेदारी है। इसलिए पहिले तो लोगो को मुसलमान बनने के लिए धमकाया जाए और न माने तो तलवार के घाट उतार दिया जाए .क्योंकि बाद में ख़ुद इमाम महदी गैर मुसलमानों को दर्दनाक सज़ा देंगे। वह ईसाइयों के सारे क्रॉस तोड़ देंगे। और गैर मुसलमानों के खून से ज़मीन भर देंगे। वह इतना खून बहायेंगे की इतिहास में पहिले कभी नही बहाया गया होगा

इम्मम न तो किसी को समझायेंगे ,न किसी की फरियाद सुनेंगे ,बल्कि बिना किसी सूचना के कत्लेआम शुरू कर देंगे.और ईसा मसीह उनके एक सेनापति की तरह काम जल्दी करने में उनकी सहायता करेंगे।

यह विचार इन मुसलामानों के दिमाग में इस तरह से ठसा हुआ है की वे किसी गैर इस्लामी सरकार को न तो अच्छा मानते हैं न उसके कानून का पालन करते हैं। उनके अनुसार गैर मुस्लिमों के लिए सिर्फ़ दो हो विकल्प हैं ,या तो वे इस्लाम काबुल करें या मरने के लिए तैयार रहें।

इस जेहादी विचार के चलते इन लोगों के दिल में दया इंसानियत ,समानता,और सहानुभूति की जगह दूसरो के प्रति नफ़रत क्रूरता और गैर मुस्लिमों के प्रति शत्रुता की भावना भरी पड़ी है। इनके अनुसार गैर मुस्लिमों को मारना एक धार्मिक कार्य है.मौलवी मदरसों में बच्चों में यह विचार इस तरह से भर देते हैं की उनके लिए निर्दोषों की हत्या अपराध नहीं बल्कि अल्लाह को खुश करने का काम है उन्हें समझाया जाता है की ऐसा करने से उनका समान बढ़ गया है। मरने के बाद उन्हें जन्नत मैं उच्च स्थान प्राप्त होगा।;

उनकी जिम्मेदारी है की साड़ी दुनिया को मुसलमान बनाने के लिए सभी प्रकार के उपाय किए जाएँ .जो इस बात को नहीं मानता उसे काफिर घोषित किया जाए और सज़ा दी जाए ।

ऐसे लोग दोहरा चरित्र रखते हैं .दिखाने के लिए वह आतंकवाद का विरोध करते हैं ,लेकिन गुप्त रूप से आतंकवादिओं की सहायता करते हैं सरकार और साधारण लोगों के सामने जेहादी विचार का खंडन करते हैं ।

इस कपट नीति को -तकिया- कहा जाता है .इसके मुताबिक एक गिरोह को आतंकवाद फैलाने के लिए कहा जाता है ,और दूसरा गिरोह आतंकवादी घटनाओं की निंदा करता है .और सफाई देता है की इस्लाम में आतंकवाद को कोई स्थान नहीं है। ऐसा प्रचार इस लिए किया जाता है की उन पर किसी प्रकार की शंका न की जाए.और पहिला गिरोह अपना काम करता रहे। इसके लिए सरकार में कुछ अपने लोग घुसा लिए जाते हैं।

इसी रणनीति के चलते पूरे विश्व में आतंकवाद फैलता जा रह है .जब तक इसकी जड़ पर प्रहार नही किया जायेगा इस पर अंकुश लगाना सम्भव नही है ।

हमें बाहर से इतना खतरा नहीं है जितना भीतर छुपे उनके साथिओं से है जो उनकी सहायता करते हैं इस लिए सावधानी की जरूरत है


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