Monday, January 12, 2015

क्या देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कश्मीर के तत्कालीन राज्य प्रमुख शेख अबदुल्ला को उनकी कश्मीर के अलगाव वादी नीति पर इसी तरह से अड़े रहने की सलाह दी थी । एक बार तो इस बात पर भरोसा नहीं होता कि नेहरू ऐसा कर सकते हैं | शेख अब्दुल्ला ने अपनी किताब आतिशे चिनार में बताया है कि दिल्ली में एक बैठक के दौरान नेहरू ने उनके कान में कहा कि ''आप कश्मीर मामले पर ऐसे ही हिचकिचाएं तो हम आपके गले में सोने की जंजीर पहना देंगे' '|
कश्मीर में शेख अब्दुल्ला ने महाराजा हरिसिंह के खिलाफ जो भी कदम उठाए उन्हे वह रियासत के बहुसंख्यक वर्ग के हित में किए गए कार्य बताते हैं | जबकि ऐसा कुछ नहीं था | शेख अब्दुल्ला,जवाहरलाल नेहरू की सह पर महाराजा हरि सिंह को हटाना चाहते थे | दिल्ली समझौते को अंतिम रूप देने के लिए केन्द्र की ओर से जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद, गोपाल स्वामी आय्यंगर और सर गिरिजाशंकर वाजपेयी बातचीत में हिस्सा ले रहे थे और रियासत की तरफ से मैं,(शेख अब्दुल्ला) बख्शी गुलाम मोहम्मद और मिर्जा अफजल बेग भाग ले रहे थे | महाराजा हरी सिंह को इस समझौते में क्यों नहीं बुलाया गया ये आज भी राज का विषय है | शेख अब्दुल्ला के अनुसार ''मुझे अच्छी तरह से याद है जब समझौते की धारा 370 पर बहस हो रही थी तो जवाहरलाल ने मेरे कान में बड़े मनोहर अंदाज के साथ कहा, ''शेख साहब, अगर आप हमारे साथ बगल में खड़े होने में हिचकिचाएंगे तो हम आपके गले में सोने की जंजीर पहना देंगे'' | मैं जवाहरलाल को एक क्षण देखता रह गया'' |
मित्रों, ''आतिशे चिनार'' नामक किताब में कई खुलासे किये गए है जो जवाहरलाल नेहरू की नियत पर सवाल खड़े करते है, पर ये किताब मिलना आसान नहीं कारण आप भी जानते है | मित्रों, आप अंदाजा लगा सकते है की ये जवाहरलाल नेहरू कितनी ही घटिया इंसान था | ये इस देश का दुर्भाग्य था की इतने दिनों तक ओ देश की बागडोर सम्हाले रखा | रही सही कसर उनके खानदान वाले पूरा कर रहे है |


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