Monday, January 12, 2015

अकबर की धर्मनिरपेक्षता - जोधा का सच

आजकल बच्चों को इतिहास की किताबों में पढाया जाता है ,कि अकबर सभी धर्मों का आदर करता था . और यहाँ तक कि उसने जोधा बाई को भी एक मंदिर भी बनवा दिया था ,जिसने वह हिन्दू रीती के अनुसार पूजा ,आरती और कृष्ण की भक्ति किया करती थी , यही" मुगले आजम " पिक्चर में भी दिखाया था .जो के .आसिफ ने बनायीं थी .
लेकिन वास्तविकता यह है कि जोधा से शादी के कुछ समय बाद अकबर ने जोधा को मुसलमान बना दिया था . और उसका इस्लामी नाम ", मरियम उज्जमानी ( مريم ازماني ) रख दिया था .और 6 फरवरी सन 1562 को इसलामी तरीके से निकाह पढ़ लिया था .और इसीलिए जब जोधा मर गयी तो उसका हिन्दू रीती से दाह संस्कार नहीं किया गया , बल्कि एक मुस्लिम की तरह दफना दिया गया .आज भी जोधा की कबर अकबर की कबर जो सिकन्दरा में है उस से से कुछ किलोमीटर बनी है ,देखी जा सकती है .
यही नहीं अकबर ने अपनी अय्याशी के लिए इस्लाम का भी दुरुपयोग किया था ,चूँकि सुन्नी फिरके के अनुसार एक मुस्लिम एक साथ चार से अधिक औरतें नहीं रखता . और जब अकबर उस से अधिक औरतें रखने लगा तो ,काजी ने उसे टोक दिया .इस से नाराज होकर अकबर ने उस सुन्नी काजी को हटा कर शिया काजी को रख लिया , क्योंकि शिया फिरके में असीमित अस्थायी शादियों की इजाजत है , ऐसी शदियों को " मुतअ " कहा जाता है .आज भी मुसलमान अपने फायदे के लिए कुरान की व्याख्या किया करते हैं

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