मुग़ल
काल में हिन्दू धर्म और संस्कृति का जितना नुक्सान हुआ है वह शायद ही किसी
और काल में हुआ हो . हज़ारों मंदिरों को तोड़कर उन पर मस्जिद बना दी गयी.
उनमे से एक कार्य जिस पर आपका ध्यान शायद ही गया होगा वह है शहरों के नाम
का इस्लामीकरण.:-
गाज़ियाबाद- मोहम्मद गाजी के नाम पर.
निज़ामाबाद - निज़ाम के नाम पर.
अल्लाहआबाद (इलाहबाद)- अल्लाह के नाम पर.
फरीदाबाद - मोहम्मद फरीद के नाम पर.
अकबराबाद- अकबर के नाम पर.
फर्रुखाबाद- मोहम्मद फारुख के नाम पर.
फिरोजाबाद - फ़िरोज़ के नाम पर.
हैदराबाद - हेदर अली के नाम पर.
मोरादाबाद - मुराद के नाम पर.
तुगलकाबाद - मोहम्मद बिन तुगलक के नाम पर.
सिकंदराबाद - सिकंदर के नाम पर.
अहमदाबाद - अहमद शाह अब्दाली के नाम पर....
और फेहरिस्त बहुत लम्बी है. परन्तु आज़ादी के बाद इन नामो को बदलना तो दूर हम इस बारे में जानते ही नहीं हैं. क्या यह समय नहीं की हमें इन इस्लामी नामो को बदलकर इनका पुनः असली नाम देना चाहिए?
गाज़ियाबाद- मोहम्मद गाजी के नाम पर.
निज़ामाबाद - निज़ाम के नाम पर.
अल्लाहआबाद (इलाहबाद)- अल्लाह के नाम पर.
फरीदाबाद - मोहम्मद फरीद के नाम पर.
अकबराबाद- अकबर के नाम पर.
फर्रुखाबाद- मोहम्मद फारुख के नाम पर.
फिरोजाबाद - फ़िरोज़ के नाम पर.
हैदराबाद - हेदर अली के नाम पर.
मोरादाबाद - मुराद के नाम पर.
तुगलकाबाद - मोहम्मद बिन तुगलक के नाम पर.
सिकंदराबाद - सिकंदर के नाम पर.
अहमदाबाद - अहमद शाह अब्दाली के नाम पर....
और फेहरिस्त बहुत लम्बी है. परन्तु आज़ादी के बाद इन नामो को बदलना तो दूर हम इस बारे में जानते ही नहीं हैं. क्या यह समय नहीं की हमें इन इस्लामी नामो को बदलकर इनका पुनः असली नाम देना चाहिए?
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