शेरशहह
सूरी एक अफगान था जिसने देहली में एक छोटी अवधि, पाँच वर्ष राज्य किया।
हमारे सैक्यूलरिस्ट इतिहासज्ञ उसकी अपार प्रशंसा करते हैं मात्र इसलिए ही
नहीं कि उसने छतीस सौं मील लम्बी ग्राण्ड ट्रंक रोड बनाई वरन् इसलिए भी कि
वह उनके मतानुसार सैक्यूलर, परोपकारी, दयालु और कोमल हृदय का शासक था।
यहाँ हम यह विवेचना नहीं कर रहे कि पाँच साल के इतने अल्पकाल में, विशेषकर जब वह अनेकों युद्धों में भी लिप्त रहा आया था, इतनी लम्बी छत्तीस सौ मील लम्बी सड़क वह भी पूर्वी बंगाल से लेकर पेशावर तक, के लम्बे क्षेत्र में सड़क निर्माण कार्य कैसे सम्भव हो सकता था, विशेषकर जब, उसके आधे क्षेत्र में भी उसका शासन नहीं था, वह कैसे बनवा सकता था। और कथित सड़क के निर्माण का किसी भी सामयिक ऐतिहासिक अभिलेख में कोईकैसा भी वर्णन उपलब्ध नहीं है। यहाँ विवेचन का हमारा सम्बन्ध, इन सैक्यूलरिस्ट इतिहासज्ञों द्वारा प्रतिपादित तथ्य, शेरशाह के सैक्यूलर होने के विषय में है।
यहाँ हम यह विवेचना नहीं कर रहे कि पाँच साल के इतने अल्पकाल में, विशेषकर जब वह अनेकों युद्धों में भी लिप्त रहा आया था, इतनी लम्बी छत्तीस सौ मील लम्बी सड़क वह भी पूर्वी बंगाल से लेकर पेशावर तक, के लम्बे क्षेत्र में सड़क निर्माण कार्य कैसे सम्भव हो सकता था, विशेषकर जब, उसके आधे क्षेत्र में भी उसका शासन नहीं था, वह कैसे बनवा सकता था। और कथित सड़क के निर्माण का किसी भी सामयिक ऐतिहासिक अभिलेख में कोईकैसा भी वर्णन उपलब्ध नहीं है। यहाँ विवेचन का हमारा सम्बन्ध, इन सैक्यूलरिस्ट इतिहासज्ञों द्वारा प्रतिपादित तथ्य, शेरशाह के सैक्यूलर होने के विषय में है।
अब्बास खान
रिजिवी ने अपने इतिहास अभिलेख तारीख-ई-शेरशाही में बड़ी यथार्थता और
विस्तार से शेरशाह के संक्षिप्तकालीन शासन का विवरण लिखा था। इस इतिहास
अभिलेख का एच. एम. ऐलियट और डाउसन ने अंग्रेजी में अनुवाद किया था जो आज के
तालिबानों के पिता के द्वारा व्यवहार में लाई गई, तथाकथित सैक्यूलरिज्म,
का एक अति विलक्षण वर्णन प्रस्तुत करता है।
१५४३ में शेरहशाह ने रायसीन के हिन्दू दुर्ग पर आक्रमण किया। छः महीने के घोर संघर्ष के उपरान्त रायसनी का राजा पूरन मल हार गया। शेर शाह द्वारा दिये गये सुरक्षा और सम्मान के वचन एवम् आश्वासन का, हिन्दुओं ने विश्वास कर लिया, और समर्पण करदिया। किन्तु अगले दिन प्रातः काल हिन्दू, जैसे ही किले से बाहर आये, शेरशाह की सेना ने उन पर आकस्मिक आक्रमण कर दिया।
अब्बार खान शेरवानी ने लिखा था- ”अफगानों ने चारों ओर से आक्रमण कर दिया, और हिन्दुओं का वध प्रारम्भ कर दिया। पूरन मल और उसके साथी,घबराई हुई भेड़ों व सूअरों की भाँति, वीरता और युद्ध कौशल दिखाने में सर्वथा असफल रहें, और एक आँख के इशारे मात्र समय में ही, सबके सब वध हो गये। उनकी पत्नियाँ और परिवार बन्दी बना लिये गये। पूरन मल की एक पुत्री और उसके बड़े भाई के तीन पुत्रों को जीवित ले जाया गया और शेष को मार दिया गया। शेरशाह ने पूरन मल की पुत्री को किसी घुम्मकड़ बाजीगर को दे दिया जो उसे बाजार में नचा सके, और लड़कों को बधिया, सस्सी, करवा दिया ताकि हिन्दुओं का वंश न बढ़े।”
(तारीख-ई-शेरशाही :अब्बास खान शेरवानी, एलिएट और डाउसन, खण्ड IV, पृष्ठ ४०३)
अब्बास खान ने शेर शाह की सैक्यूलरिज्म के अनेकों और उदाहरण प्रस्तुत किये हैं। उनमें से एक इस प्रकार है- ”उसने अपने अश्वधावकों को आदेश दिया कि हिन्दू गाँवों की जाँचपड़ताल करें, उन्हें मार्ग में जो पुरुष मिलें, उन्हें वध कर दें, औरतों और बच्चों को बन्दी बना लें, पशुओं को भगा दें, किसी को भी खेती ने करने दें, पहले से बोई फसलों को नष्ट कर दें, और किसी को भी पड़ौस के भागों से कुछ भी न लाने दें।”(उसी पुस्तक में पृष्ठ ३१६).
१५४३ में शेरहशाह ने रायसीन के हिन्दू दुर्ग पर आक्रमण किया। छः महीने के घोर संघर्ष के उपरान्त रायसनी का राजा पूरन मल हार गया। शेर शाह द्वारा दिये गये सुरक्षा और सम्मान के वचन एवम् आश्वासन का, हिन्दुओं ने विश्वास कर लिया, और समर्पण करदिया। किन्तु अगले दिन प्रातः काल हिन्दू, जैसे ही किले से बाहर आये, शेरशाह की सेना ने उन पर आकस्मिक आक्रमण कर दिया।
अब्बार खान शेरवानी ने लिखा था- ”अफगानों ने चारों ओर से आक्रमण कर दिया, और हिन्दुओं का वध प्रारम्भ कर दिया। पूरन मल और उसके साथी,घबराई हुई भेड़ों व सूअरों की भाँति, वीरता और युद्ध कौशल दिखाने में सर्वथा असफल रहें, और एक आँख के इशारे मात्र समय में ही, सबके सब वध हो गये। उनकी पत्नियाँ और परिवार बन्दी बना लिये गये। पूरन मल की एक पुत्री और उसके बड़े भाई के तीन पुत्रों को जीवित ले जाया गया और शेष को मार दिया गया। शेरशाह ने पूरन मल की पुत्री को किसी घुम्मकड़ बाजीगर को दे दिया जो उसे बाजार में नचा सके, और लड़कों को बधिया, सस्सी, करवा दिया ताकि हिन्दुओं का वंश न बढ़े।”
(तारीख-ई-शेरशाही :अब्बास खान शेरवानी, एलिएट और डाउसन, खण्ड IV, पृष्ठ ४०३)
अब्बास खान ने शेर शाह की सैक्यूलरिज्म के अनेकों और उदाहरण प्रस्तुत किये हैं। उनमें से एक इस प्रकार है- ”उसने अपने अश्वधावकों को आदेश दिया कि हिन्दू गाँवों की जाँचपड़ताल करें, उन्हें मार्ग में जो पुरुष मिलें, उन्हें वध कर दें, औरतों और बच्चों को बन्दी बना लें, पशुओं को भगा दें, किसी को भी खेती ने करने दें, पहले से बोई फसलों को नष्ट कर दें, और किसी को भी पड़ौस के भागों से कुछ भी न लाने दें।”(उसी पुस्तक में पृष्ठ ३१६).
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