केशव
राय का महान मंदिर, मथुरा में बीर सिंह देव बुंदेला द्वारा जहांगीर के समय
से पहले बनवाया गया था, उस समय इसकी लागत ३३ लाख रूपए आयी थी, ये उस समय
देश क सबसे शानदार मंदिरों में से एक था तथा स्थापत्य कला में भी ये मंदिर
बहुत महत्वपूर्ण था (चित्र में बायीं तरफ) इसे भगवांन कृष्ण कि जन्मभूमि पर
बनाया गया था, इसके दर्शन हेतु विदेशो से भी लोग आया करते थे, बहुत कम
लोगों को पता है, शाहजहां का बेटा दारा
शिकोह, औरंगजेब के बिलकुल उलट था, उसकी दिलचस्पी हिन्दू धर्म में थी, उसने
उपनिषदों का अनुवाद भी करवाया था, उसने मूर्ति के सामने नक्काशीदार पत्थरों
की रेलिंग लगवायी थी, जिसके उस पार खड़े होकर भक्त दर्शन करते थे! जिसे
औरंगजेब ने अक्टूबर १६६६ को हटा दिया था!
दारा शिकोह की हत्या करने के बाद औरंगजेब ने ये पूरा मंदिर रमजान के महीने
में ११ फ़रवरी सन १६७० को रमजान के महीने में तोड़ दिया था, इसकी स्थापत्य
कला और विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इसे पूरी तरह से
तोड़ने में ३ दिन लगे थे! (११ फ़रवरी सन १६७० तक)
अभी जो वर्तमान केशव देव मंदिर आप देखते है, उसे महामना मदन मोहन मालवीय ने अथक प्रयासों से पुनः बनवाया था, ये मंदिर १९६५ में बनकर पूरा हुआ!
ये तो सिर्फ एक छोटा सा उदाहरण था, मुगलों द्वारा मंदिरों के विध्वंस और उनके मलबों के नीचे दफन निर्दोषों की चीख-पुकारों की लिस्ट काफी लम्बी है
अभी जो वर्तमान केशव देव मंदिर आप देखते है, उसे महामना मदन मोहन मालवीय ने अथक प्रयासों से पुनः बनवाया था, ये मंदिर १९६५ में बनकर पूरा हुआ!
ये तो सिर्फ एक छोटा सा उदाहरण था, मुगलों द्वारा मंदिरों के विध्वंस और उनके मलबों के नीचे दफन निर्दोषों की चीख-पुकारों की लिस्ट काफी लम्बी है
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