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२ अप्रैल १६७९ को औरंगजेब द्वारा हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया गया जिसका
हिन्दुओं ने दिल्ली में बड़े पैमाने पर शांतिपूर्वक विरोध किया परन्तु उसे
बेरहमी से कुचल दिया गया।
• इसके साथ-साथ मुसलमानों को करों में छूट दे दी गयी जिससे हिन्दू अपनी निर्धनता और कर न चूका पाने की दशा में इस्लाम ग्रहण कर ले।
• १६ अप्रैल १६६७ को औरंगजेब ने दिवाली के अवसर पर आतिशबाजी चलाने से और त्यौहार बनाने से मना कर दिया गया।
• इसके बाद सभी सरकारी नौकरियों से हिन्दू क्रमचारियों को निकाल कर उनके स्थान पर मुस्लिम क्रमचारियों की भरती का फरमान भी जारी कर दिया गया।
• हिन्दुओं को शीतला माता, पीर प्रभु आदि के मेलों में इकठ्ठा न होने का हुकुम दिया गया।
• हिन्दुओं को पालकी, हाथी, घोड़े की सवारी की मनाई कर दी गयी।
• कोई हिन्दू अगर इस्लाम ग्रहण करता तो उसे कानूनगो बनाया जाता और हिन्दू पुरुष को इस्लाम ग्रहण करनेपर ४ रुपये और हिन्दू स्त्री को २ रुपये मुसलमान बनने के लिए दिए जाते थे।
ऐसे न जाने कितने अत्याचार औरंगजेब ने हिन्दू जनता पर किये और आज उसी द्वारा जबरन मुस्लिम बनाये गए लोगों के वंशज उसका गुण गान करते नहीं थकते हैं।क्या यह दोगलापन नहीं है
• इसके साथ-साथ मुसलमानों को करों में छूट दे दी गयी जिससे हिन्दू अपनी निर्धनता और कर न चूका पाने की दशा में इस्लाम ग्रहण कर ले।
• १६ अप्रैल १६६७ को औरंगजेब ने दिवाली के अवसर पर आतिशबाजी चलाने से और त्यौहार बनाने से मना कर दिया गया।
• इसके बाद सभी सरकारी नौकरियों से हिन्दू क्रमचारियों को निकाल कर उनके स्थान पर मुस्लिम क्रमचारियों की भरती का फरमान भी जारी कर दिया गया।
• हिन्दुओं को शीतला माता, पीर प्रभु आदि के मेलों में इकठ्ठा न होने का हुकुम दिया गया।
• हिन्दुओं को पालकी, हाथी, घोड़े की सवारी की मनाई कर दी गयी।
• कोई हिन्दू अगर इस्लाम ग्रहण करता तो उसे कानूनगो बनाया जाता और हिन्दू पुरुष को इस्लाम ग्रहण करनेपर ४ रुपये और हिन्दू स्त्री को २ रुपये मुसलमान बनने के लिए दिए जाते थे।
ऐसे न जाने कितने अत्याचार औरंगजेब ने हिन्दू जनता पर किये और आज उसी द्वारा जबरन मुस्लिम बनाये गए लोगों के वंशज उसका गुण गान करते नहीं थकते हैं।क्या यह दोगलापन नहीं है
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